बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में चमकी बुखार का कहर जारी है। इससे होने वाली बच्चों की मौत का आंकड़ा 120 तक पहुंच चुका है। वहीं बताया जा रहा है कि 300 बच्चें अभी भी गंभीर रूप से बीमार है जिन में 80 प्रतिशत लड़कियां हैं , इल्ज़ाम यह है कि सरकार इस समस्या से निपटने के लिए उचित कदम नहीं उठा रही और डॉक्टर अपने पेशे के प्रति उदासीन हैं, वे बंगाल में डॉक्टर्स की स्ट्राइक का साथ तो दे रहे हैं, लेकिन मासूमों की झटके लेती साँसों की डोर को थाम नहीं रहे। सरकार की लापरवाही और डॉक्टर्स की उदासीनता को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाए हैं वकील मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह एक याचिका के रूप में।
याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट सरकार को 500 प्ब्न् का इंतजाम करने का आदेश दे। इसी के साथ ये भी अपील की गई है कि कोर्ट सरकार से 100 मोबाईल प्ब्न् को मुजफ्फरपुर भेजे जाने और पर्याप्त संख्या में डॉक्टर उपलब्ध कराने के आदेश दे। इस मामले में सुनवाई 24 जून यानी सोमवार को होगी।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बिहार में डायरेक्टरेट ऑफ हेल्थ सर्विसेस (डीएचएस) का दावा है कि इस साल जापानी बुखार वायरस कारण दिमागी बुखार के केवल दो मामले सामने आए। इसके साथ ही यह सिंड्रोम टाइफस, डेंगी, मम्प्स, मिजल्स, निपाह और जिका वायरस के कारण भी होता है। यानी उपरोक्त किन्ही भी कारणों से दिमागी बुख़ार हो सकता है।
पुर में दिमागी बुखार के साथ हाइपोग्लाइसीमिया का संबंध अनोखा है।
बिहार में डीएचएस के पूर्व निदेशक कविंदर सिन्हा ने कहा, ‘हाइपोग्लाइसीमिया (लो-शुगर) कोई लक्षण नहीं बल्कि दिमागी बुखार का संकेत है। बिहार में बच्चों को हुए दिमागी बुखार का संबंध हाइपोग्लाइसीमिया के साथ पाया गया है। यह हाइपोग्लाइसीमिया कुपोषण और पौष्टिक आहार की कमी के कारण होता है।’साल 2014 के एक अध्ययन में कहा गया था, इस बीमारी का लीची या पर्यावरण में मौजूद किसी जहर के साथ संभावित संबंध को दर्ज किया जाना चाहिए। पशुओं पर किए गए परीक्षण में हाइपोग्लाइसीमिया होने का कारण लीची में मौजूद मेथिलीन साइक्लोप्रोपिल ग्लिसिन को पाया गया था।
डॉ। सिन्हा ने कहा कि जब मई में लीची तोड़ने का काम शुरू होता है तब अनेक मजदूर खेतों में समय बिताते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह बहुत ही सामान्य है कि बच्चे जमीन पर गिरी हुई लीचियों को खाते होंगे और फिर बिना खाना खाए सो जाते होंगे। इसके बाद रात के समय लीची में मौजूद विषाक्त पदार्थ उनका ब्लड शुगर लेवल कम कर देता है और ये बच्चे सुबह के समय बेहोश हो जाते हैं!
इस बीमारी के चरम पर पहुंचने के 18 दिन बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर पहुंचे। इस दौरान वहां पर लोगों ने जमकर उनका विरोध किया। लोगों ने नीतीश वापस जाओ के नारे लगाए। बच्चों की मौत से बिखरे और नाराज लोगों ने नीतीश मुर्दाबाद और हाय-हाय के नारे लगाए।